Sunday 14 February 2016

किताबों की दुनिया में खोया वह बचपन

किसी भी व्यक्ति का किताबों से संबंध उसकी बचपन को याद दिलाता है। किताबों की दुनिया में खोया वह बचपन जब आपको उस दौर में ले जाता है तो आप रोमांच से भर जाते हैं। चाहे वह क्लास की बुक्स हो या नंदन, चंपक, बालहंस या कोई काॅमिक्स, वह हमें उस फंतासी दुनिया में ले जाता था जहां हमें लगता था कि एक और दुनिया है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ फंतासी बातों से ही हम रूबरू होते थे। उस फंतासी कहानियों में बुराई पर अच्छाई की जीत, आचरण और संस्कार की सीख मिलती थी, जिसके कारण आज आप जहां हैं वहां एक सफल व्यक्ति हैं। उन किताबों ने हमें जीवन जीने की कला सीखायी, देशभक्ति, जिम्मेदारी और सेवा भाव का अनुभव कराया। इससे सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण हुआ। वैसे आज के परिपेक्ष्य में बात की जाए तो आज बच्चे किताबों की फंतासी दुनिया की जगह टीवी को दे दिया है। जहां उन्हें डोरेमोन, आॅगी-काॅकरोच, मोटू-पतलू और हड्डी-बड्डी जैसे सीरियल इंटरटेन करते हैं। यह बात अलग है कि अभिभावक उस पर ध्यान नहीं देते कि उसके भविष्य के लिए ठीक नहीं है। अभिभावकों को चाहिए की उन्हें अपने बच्चों को ऐसे किताबों (buy books online) से रूबरू

कराएं जो टीवी से ज्यादा इंटरटेन करें। इसके लिए आज आॅनलाइन बुक्स स्टोर्स (online bookstore) की भरमार है जो आपके बच्चों के लिए आॅनलाइन बुक्स (online books) उपलब्ध कराते हैं। अगर आप बाइ बुक्स आनलाइन करते हैं तो यह बुक्स आपके घर तक पहुंचाते हैं। ऐसे में आप अपने बच्चों को किताबों से दोस्ती करा सकते हैं।

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