Thursday, 4 February 2016

‘द टर्बुलेंट ईयर्स: 1980-1996’

Yourbookstall.com, ऑनलाइन बुकस्टोर (Online Bookstore) पर उपलब्ध नयी किताब ‘द टर्बुलेंट ईयर्स: 1980-1996’ में राष्ट्रपति ने  1980-1996 की राजनीतिक उथल-पुथल की जानकारी साझा की है।

अपने संस्मरण में प्रणब ने कहा कि अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर का ताला खुलवाना प्रधानमंत्री राजीव गांधी का गलत निर्णय था। इसके साथ ही उन्होंने बाबरी मस्जिद गिराए जाने को पूर्ण विश्वासघात करार देते हुए कहा कि इसने भारत की छवि नष्ट कर दी। राष्ट्रपति के इस पुस्तक (Book)का विमोचन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया है। इस बुक में राष्ट्रपति ने कहा कि मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने से समाज में सामाजिक अन्याय कम करने में मदद मिली, हालांकि इसने हमारी जनसंख्या के विभिन्न वर्गों को बांटा और उनका ध्रुवीकरण किया। उन्होंने कहा 1989 से 1991 की अवधि एक ऐसा चरण था, जिसमें हिंसा और भारतीय समाज में दुखद रूप से फूट का प्रभुत्व रहा। उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर में आतंकवाद एवं सीमापार आतंकवाद शुरू हुआ, राम जन्मभूमि मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे ने देश को हिलाकर रख दिया। अंततः 21 मई 1991 को अचानक एक आत्मघाती हमलावर ने राजीव के जीवन का दुखद अंत कर दिया। मुखर्जी ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा कार्यकर्ताओं को देशभर से ईंटें एकट्ठा करने के लिए जुटाना और उन्हें एक जुलूस में अयोध्या ले जाए जाने से साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न हुआ। राष्ट्रपति मुखर्जी ने शाह बानो मामले को याद करते हुए कहा कि राजीव के निर्णय ने एक आधुनिक व्यक्ति के तौर पर उनकी छवि धूमिल की। उन्होंने कहा, शाह बानो और मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक पर राजीव के कदमों की आलोचना हुई और इससे एक आधुनिक व्यक्ति के तौर पर उनकी छवि धूमिल हुई। राष्ट्रपति मुखर्जी कहते हैं कि राजीव गांधी की इसके लिए आलोचना की जाती है कि वे ऐसे कुछ नजदीकी मित्रों एवं सलाहकारों पर अत्यधिक निर्भर रहते थे, जिन्होंने तथाकथित ‘बाबालोग’ सरकार गठित की और उनमें से कुछ उनके माध्यम से अपना भविष्य संवारने में लगे थे। मुखर्जी लिखते हैं कि बोफोर्स मुद्दा लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के खराब प्रदर्शन के कारणों में से एक साबित हुआ। हालांकि अभी तक उनके खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ है।
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