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Wednesday, 21 September 2016

आॅनलाइन बुक्स स्टोर के मुकाबले कहां हैं फुटपाथ की पुरानी किताबें

आज की बात हो या उस समय की जब हम लोगों के अनुसार किताबी कीड़ा हुआ करते थे। ऐसे में जब पुरानी किताबों (books)की बात हो तो वह दौर एक फिल्म की भांति मानस पटल पर गुजर जाता है। चाहे वह साहित्य की किताब हो या किसी सिलेबस की हम तो यहीं चाहते थे की कम से कम पैसा लगे और ज्यादा से ज्यादा उस किताब का उपयोग हो। इसके कई उदाहरण यादों के पन्नों में समेटा हुआ है। जैसे हम चौथी की परीक्षा देते तो परीक्षा से पूर्व हम किसी दोस्त या रिश्तेदार के बच्चों की पांचवी की किताब आधी कीमत पर ले लेते या तय कर लेते। वहीं दूसरी ओर अपनी चौथी की किताब तीसरी की परीक्षा दे रहे बच्चों को आधी कीमत पर बेंच देते। बस आज जमान बदल सा गया है। आज आॅनलाइन बुक्स स्टोर, (online bookstore) ई-बुक्स और रीडिंग डिवाइस के इस जमाने में ऐसे लोग और धंधे की अब थोड़ी बहुत जगह बच गई है। आज लोग घर बैठे आॅनलाइन बुक्स स्टोर से भारी यानी कभी-कभी तो 50 प्रतिशत तक डिस्काउंट पर बाई बुक्स आॅनलाइन (Buy books online) ले लेते हैं। बावजूद इसके मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु सहित ए और बी शहरों में फुटपाथ पर पुरानी किताबों का कारोबार अभी भी एक चोखा धंधा है। यहां किताबों के खुले बाजार में होमर और कालीदास जैसे दिग्गज लेखकों की किताबें बिकती हैं। कई पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि ईबुक्स, ई-रीडिंग डिवाइस और ऐप भी पुस्तक प्रेमियों के मन से छपी हुई किताबों का मोह तोड़ पाने में नाकाम रहे हैं और ऐसे किताब प्रेमी यहां से बहुत किफायती दामों में अपनी पसंदीदा किताब खरीदते हैं। हलांकि एक किताब विक्रेता ने बताया कि यह डिजिटल युग हमारे कारोबार के लिए एक चुनौती है, लेकिन अभी भी फुटपाथ पर बिकने वाली किताबों की पर्याप्त मांग है।                                            विशेषज्ञों का भी मानना है कि निश्चित तौर पर ई बुक्स, ई रीडिंग और कई ऐप जैसे डिजिटल उपकरण आने से पढ़ने वाले बहुत लोग किताबों से दूर जा रहे हैं। बावजूद इसके किताब विक्रेताओं ने भी उम्मीद नहीं छोड़ी है और किताब प्रेमियों को लुभाने के लिए नए-नए तरीके खोज निकाले हैं। विक्रेताओं के अनुसार शुरुआत में हम पुरानी किताबें बेचते हैं, जो 50 फीसद से भी ज्यादा सस्ती होती हैं। इसके अलावा भी वे अब अपने खरीदारों से पक्की दोस्ती बनाए रखने के लिए उन्हें किराए पर भी उनकी पसंदीदा किताबें देने लगे हैं। यह तरीका नए ग्राहक बनाने के लिए बहुत कारगर है। खास तौर पर छात्र इसके कारण बार बार हमारे पास ही आते हैं। उल्लेखनीय है कि महानगर में किताबों के इस सबसे बड़े खुले बाजार में गल्प, आत्मकथायें, फैशन, इतिहास, युद्ध और वन्यजीवन पर आधारित सभी प्रकार की किताबें 10 रुपए से 5,000 रुपए में मिल जाती हैं।

Friday, 5 August 2016

‘ई-बुक्स’ की ओर खींचे जा रहे हैं किताब प्रेमी

भारत डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है और तकनीक हर क्षेत्र में बदलाव ला रही है। अब तो स्कूल से लेकर कॉलेज तक की किताबें इंटरनेट पर उपलब्ध हो रही हैं। यानी ‘ई-बुक’ किताबों (books) का नया संसार है। वैसे आप पढ़ाकु और किताबी कीड़े हैं तो आपके घर का एक कमरे में किताबों से भरा पड़ा होगा। तमाम वह किताबें आलमीरा में पड़ी होंगी जो आपकी फेवरेट किताब होगी और उसे आप पढ़कर रख दिए होंगे।  वैसे अगर आप पुराने पढ़ाकु हैं तो आपको ज्यादा स्मार्ट बनना पड़ेगा और आजकल के किताबी कीड़े हैं तो थोड़ा स्मार्ट तो बनना ही पड़ेगा। इससे न सिर्फ आपके पढ़ने का शौक पूरा होगा बल्कि पैसों की काफी बचत भी होगी। हम बात कर रहे हैं ई बुक्स की। ईबुक्स के लिए जरूरी नहीं आपके पास ई-बुक रीडर ही होना चाहिए। ईबुक्स को डाउनलोड करके आप अपने मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और पीसी पर भी पढ़ सकते हैं। मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि ई-बुक्स मिलेंगी कहां से। इसका सरल जवाब है आॅनलाइन बुक्स स्टोर से। ये कई आॅनलाइन बुक्स स्टोर पर फ्री तो किसी आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) पर बेहद कम कीमत पर उपलब्ध है। यहां से आप ई-बुक्स (e-books) स्टोर से अपनी पसंद की ईबुक खरीदें और डाउनलोड कर सकते हैं।

सुदूर इलाके में सुगम पहुंच
कल तक बड़े शहरों से लेकर सुदूर इलाकों में रहने वाले स्टूडेंट्स के लिए साहित्य और अपने पाठ्यक्रम के मुताबिक मनचाही पुस्तक हासिल करना एक बड़ी दिक्कत रही है, लेकिन ईबुक्स ने इसे आसान कर दिया है।  पहले पाठ्यक्रम की पुस्तके उन्हें उसी लेखक की पुस्तक से करनी होती है, जो उनके नजदीक स्थित किताब विक्रेता के पास सुलभ हो। पढ़ाई के बदलते तरीके और महंगी होती किताबों के बीच देश में ‘ई-बुक्स’ का बाजार जोर पकड़ रहा है। इसकी वजह भी है, देश में लगभग 20 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल लैपटॉप, कंप्यूटर के जरिए करते हैं, तो 10 करोड़ सेलफोन से। एक तरफ जहां इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी ओर किताबों की अनुपलब्धता और कीमतों में इजाफा हो रहा है। इसी के चलते ‘ई-बुक्स’ के बाजार को संभावनाओं के पर लग गए हैं।

स्कूली बच्चों के लिए ज्यादा लाभदायक
कई प्रकाशकों एवं होलसेलरों का दावा है कि यह किताबें बाजार में मिलने वाली किताबों के मुकाबले दाम में आधी कीमत की होती हैं। वर्तमान में लगभग 60 प्रकाशक ‘ई-बुक्स’ उपलब्ध करा रहे हैं। ये ‘ई-बुक्स’ देश के लगभग हर हिस्से के पाठ्यक्रम से 50 से 70 फीसदी तक मेल खाती हैं। ‘ई-बुक्स’ जहां कंप्यूटर पर इंटरनेट की जरिए उपलब्ध है, उसके लिए डिवाइस बनाई है। वहीं टैबलेट और मोबाइल के लिए ऐप तैयार किया गया है। दौर बदल रहा है, भारत डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है और नई पीढ़ी का अंदाज नया है। इस बदलाव के बीच किताबें भी कागज की न होकर कंप्यूटर और मोबाइल पर आ रही हैं। किताबों के इस बदलाव का नई पीढ़ी को कितना लाभ होता है, यह कोई नहीं जानता।

Saturday, 30 July 2016

स्वस्थ्य भी रखती है किताबें पढ़ने की आदत...

ऐसा माना नहीं जाता यह सत्य है कि किताबें व्यक्ति की अच्छी दोस्त, पथ प्रदर्शक, प्रेमिका और पता नहीं क्या-क्या होती हैं। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हम किताब से जुड़े रहते हैं, पहले स्कूल और प्रतियोगिता के किताबों से और बाद में साहित्य और धर्म के किताबों से। लेकिन आज के तेज रफ्तार में भागती जिन्दगी में कुछ लोग किताबों को पढ़ना बोरिंग समझते हैं और कंप्यूटर और टीवी को ही अपना अच्छा दोस्त मानते है। ऐसे लोग कंप्यूटर या मोबाइल के इस युग में भी इसका (ईबुक्स) लाभ नहीं उठा पाते। उन्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि किताबें आपके व्यक्तित्व को निखारती ही नहीं बल्कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसकी वैज्ञानिकों ने भी पुष्टि की है। एक शोध से पता चला है जो शौक के लिए नाचते और पढ़ते उनका स्वास्थ्य ऐसा न करने वाले लोगों की तुलना में 33 प्रतिशत ज्यादा बेहतर रहता है। ऐसी किताबें किसी भी ऑनलाइन बुक स्टोर (online bookstore) पर आसानी से उपलब्ध है। जहाँ से कोई भी बाय बुक्स ऑनलाइन (buy books online) खरीद सकता है. आइये जानते है किताब हमें कैसे स्वास्थ्य रखती है। 
याददाश्त रहती है टनाटन
आज-कल हमारी दिनचर्या ऐसी हो गई है सारी निर्भरता मोबाइल पर हो गई है। पहले जुबानी कई लोगों के नंबर याद रखते थे लेकिन आज अपने घर का नंबर भी याद नहीं रहता। यह केवल उदाहरण भर है। लेकिन अगर आप पढ़ाई करते हैं तो आपकी याददाश्त बढ़ती है। टीवी देखने और कंप्यूटर पर काम करने की तुलना में पढ़ाई करने वालों का दिमाग ज्यादा तेज होता है। इसके अलावा किताब पढ़ने की आदत व्यक्ति के सोचने और समझने की क्षमता को बढ़ाती है।
तरोताजा रहता है दिमाग
किताब ने पढ़ने वाले व्यक्ति की तुलना में किताबें पढ़ने वाले आदमी का दिमाग हमेशा जवां रहता है। जो लोग रचनात्मक कार्यों जैसे पढ़ाई में अधिक वक्त बिताते हैं उनका दिमाग ऐसा न करने वालों की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक जवां रहता है। उनके व्यक्तित्व से लेकर हर काम में ही किताब पढ़ने के लाभ दिखते हैं। इसको लेकर भी शोध हुए किताब को पढ़कर व्यक्ति कई अच्छी चीजों को अपने चरित्र में भी उतारता है।
आईक्यू लेवल में होती हैं बढ़ोतरी
शोध में यह भी निष्कर्ष निकला है कि जो लोग किताबें अधिक पढ़ते हैं उनका आई-क्यू लेवेल भी अधिक होता है। किताबें व्यक्ति को रचनाशील बनाती है जिसके कारण उनकी सोचने और समझने की क्षमता बढ़ जाती है। समाज से लेकर किसी भी प्रतियोगिता में वे हमेशा आगे रहते हैं। ऐसे व्यक्ति शायद ही निराशावादी होते हैं। उनकी सोच हमेशा साकारात्मक होती है।
अल्जाइमर से बचाव
किताब पढ़ने वाले व्यक्ति को कभी अल्जाइमर नहीं होती। अल्जाइमर एक प्रकार की दिमागी बीमारी है। इसके कारण व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है। जो लोग दिमागी गतिविधियों जैसे - पढ़ाई, चेस खेलना, पजल खेलने में व्यस्त रहते हैं उनमें अल्जाइमर के विकसित होने की संभावना कम होती है। इस निष्कर्ष से यह कहा जा सकता है कि पढ़ाकु लोग दिमाग से स्वास्थ्य और शरीर से भी स्वस्थ्य रहते हैं।
तनाव दूर करती है किताब
भले आप बात माने या न माने लेकिन तनाव के समय आप अपने सबसे प्रिय किताब को पढ़िए, शोध का दावा है कि आपके तनाव कम हो जाएंगे। क्योंकि किताबें व्यक्ति के तनाव के हार्मोन यानी कार्टिसोल के स्तर को कम करती हैं, जिससे तनाव दूर रहता है। दुनिया में आजकल तनाव दूर करने के लिए अब ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं है। किसी भी आनलाइन बुक्स स्टोर पर जाइए और वहां से अपना सबसे फेवरेट आॅनलाइन खरीदकर घर बैठे मंगाए और घर बैठे तनाव दूर करें।
दिन और रात दोनों अच्छे 
फायदों की सूची में नींद भी शामिल हैं जो लगभग दुनिया भर में लोगों की परेशानी है। रात में देर तक टीवी देखने और कंप्यूटर पर काम करने से आपकी नींद उड़ सकती है, लेकिन रात में सोने से पहले किताब पढ़ने से आपको अच्छी नींद का आ सकती है। इसलिए रात को सोने से पहले किताब पढ़ना न भूलें। अगर आप अपने दिन को खुशनुमा बनाना चाहते हैं तो पढ़ने की आदत इसमें आपकी मदद कर सकती है। यदि आपके पास आज कोई काम नहीं है तो दिन को बेहतर बनाने के लिए एक अच्छी किताब पढ़िए।

Friday, 1 July 2016

बच्चों की वह कहानियां जो बड़े भी पढ़तें हैं चाव से....

आज हम बाल साहित्य पर कुछ लिखने के लिए हम भी चाह रहे हैं बच्चा बन जाएं। जब हम बच्चे थे (10-13) हमारे आसपास तो टीवी श्वेत-श्याम था और उस समय भी इसकी खुमारी थी, लेकिन सीमित। क्योंकि उस समय महाभारत (बीआर चोपड़ा), चंद्रकांता (नीरजा गुलेरी), अलिफलैला और श्रीकृष्ण (रामानंद साग) का दौर था। रामायण का दौर जा चुका था। यह एक विशेष दिन और विशेष समय पर आते थे। बाकी दिन हमारी दुनिया में रंग भरते थे कॉमिक्सों से। रंगीन पन्नों पर छपी कमांडो ध्रुव, नागराज, परमाणु, डोगा, राम-रहीम, भोकाल, नंदन, चंपक, बालहंस और चाचा चौधरी की कहानियों के नए अंक पढ़ने के लिए गली-गली साइकिल की पैडल मारते हुए बाजार से घर और घर से दूसरे या तीसरे दोस्त के यहां। कारण था सभी किताबें किराए से मिला करती थी तो अदला-बदली करके उसको पढ़ लिया करते थे। अगर जो मित्र कोई अंक खरीद लेता वह बॉस होता और खुद पढ़ने के बाद अपने चहेते मित्र फिर उससे कम चहेते मित्र, ऐसे करके हममें बंटा करती थी। परीक्षा के टाइम में भी स्कूल की किताबों के अंदर कॉमिक्स या बाल पत्रिकाएं छुपाकर पढ़ते हुए हम, शायद आजकल के बच्चों से अलग बचपन जी रहे थे। लेकिन आज के दौर में टीवी पर डोरेमन, मोटू-पतलू, वीडियो गेम, कंप्यूटर गेम और इंटरनेट के बीच बाल साहित्य खो सा गया है। वैसे समय-समय पर बहुत से प्रसिद्ध और महान लोगों ने बच्चों के लिए किताबें लिखी हैं, जो कि न सिर्फ बहुत ही ज्यादा चर्चित हुईं, बल्कि लोकप्रिय भी रहीं। आज हम कुछ ऐसी ही किताबों का जिक्र करेंगे जो हमेशा से लोकप्रिय और प्रसिद्ध रही। 
पंचतंत्र की कहानियां  (Panchatantra)
यह वह किताब है जिसकी कहानियां नाना-नानी, दादा-दादी अभी भी सुनाया करती हैं। भाषा और जगह के हिसाब से इसके कथनांक में फर्क पड़ा है लेकिन उसकी मूल भावना वहीं है। इस किताब के मूल लेखक पंडित विष्णु शर्मा  हैं। इस किताब में जितनी भी कहानियां है सब पेड़-पौधे, जानवर सहित मनुष्य को शामिल कर शिक्षाप्रद बनाया गया है। इसलिए कहा गया है भले आपका बच्चा किताब न पढ़े पर उसे पंचतंत्र की कहानियां जरूर सुनाएं।


जवाहरलाल नेहरू के पत्र (Letters From A Father To His Daughter)
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने अति व्यस्त कार्यक्रम से थोड़ी सी फुर्सत पाते थे तो अपनी लाडली बेटी इंदिरा को पत्र लिखा करते थे। पंडित नेहरू के ये पत्र ही थे, जिन्होंने इंदिरा को इतना सशक्त बना दिया कि बड़ी से बड़ी दिक्कतों का सामना करने में उनको तनिक भी मुश्किल नहीं आई। इन पत्रों का संग्रह भी कई किताबों में है। यहां तक आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) के अलावा यह पत्र कई ऑनलाइन बुक्स की (online books)वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं।





रवीन्द्र नाथ ठाकुर की काबुलीवाला (Kabuliwala)
रवीन्द्र नाथ ठाकुर की किताबों को पढ़ने में भी बच्चों को बहुत ही मजा आएगा और जोश भी। रवीन्द्र नाथ की किताबें बच्चों का मनोरंजन करने के साथ ही उनका मार्गदर्शन भी करती हैं। इनकी सबसे प्रसिद्ध कहानी ‘काबुलीवाला’ है, जिसमें कि एक काबुलीवाला ‘रहमत’ नाम का चरित्र है और दूसरी छोटी बच्ची ‘मनी’ है। इस कहानी को पढ़ते-पढ़ते आप अपनी भावुकता को रोक नहीं पाएंगे। इस कहानी पर इसी नाम से फिल्म भी बन चुकी है जिसके गीत को बच्चे आज भी गुनगुनाते हैं। ऐ मेरे प्यारे वतन..... ऐ मेरे बिछड़े चमन...



प्रेमचंद की ईदगाह (Idgah)
प्रेमचंद ने तो कई ऐसे साहित्य लिखे जिसे बाल साहित्य भी कहा जा सकता है, लेकिन ईदगाह की बात ही निराली है। ईदगाह की बात आते ही दिमाग में नन्हा हमीद उछल-कूद करने लगता है। वैसे उसका चरित्र ऐसा नहीं है। हमीद के किरादार को प्रेमचंद ने ऐसे बाल बुजुर्ग का बुना है जिसकी कल्पना आज के मनोवैज्ञानिक नहीं कर सकते। ईदगाह ऐसी कहानी है जो बच्चों को ऐसे भी सुनाया जा सकता है, उस बाल तर्क से बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा जब हामीद अपने चीमटे को कैसे दोस्तों के खिलौनों से श्रेष्ठ साबित करता है। 





गुलजार की ‘बोस्की के कप्तान चाचा’ (Boski ke kaptan chacha)
बॉलीवुड के निर्माता, निर्देशक, लेखक और प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने भी कई बाल साहित्य लिखे हैं। गुलजार ने भी बच्चों के लिए ‘बोस्की के कप्तान चाचा’ नाम से एक किताब लिखी है। गुलजार अपनी बेटी मेघना को प्यार से बोस्की कहते हैं। इस किताब के जरिए गुलजार बच्चों को एक ऐसे किरदार ‘कप्तान चाचा’ से रू-ब-रू करवाते हैं, जो कि ऊपर से जितना सख्त तो अंदर से उतना ही नम्र है। इसके अलाव भी गुलजार को बच्चों से विशेष लगाव है। वह कई बच्चों के संस्थान से जुड़े भी हैं और उनको गोद ले रखा है, उसमें भोपाल की संस्था ‘आरुषि’ शामिल है।



Wednesday, 22 June 2016

...किताबें जो आपको बना सकती है सफल

किसी भी मानुष्य के जीवन में किताब वह शस्त्र होता है जिसे वह अपने जीवन में उतारकर अपने जीवन को सफल बना सकता है। चाहे वह आर्थिक रूप से अपने आपको सफल बनाए या आध्यातिमक रूप से उसके लिए शास्त्र (किताब) को शस्त्र के रूप में उपयोग कर सकता है। वैसे किताबें हमेशा से ही आगे बढ़ने में मदद करती हैं, गाइड करती हैं और हमें रास्ता भी दिखाती हैं। यहां तक कि अच्छा इंसान बनने में भी किताबों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज हम कुछ ऐसी ही किताबों के बारे में बताएंगे जो आपको आर्थिक रूप से सफल बना सकते हैं। इन्हें लिखने वाले भी बिजनेस और टेक वर्ल्ड के वो लोग हैं, जिन्होंने अपने संघर्ष से उबरकर सफलता के नए पायदान तय किए। यह सभी किताबें किसी भी आॅनलाइन बुक्सस्टोर ( online bookstore ) पर असानी से उपलब्ध है, जहां से आप इसे खरीद (buy books online) सकते हैं।

कैपिटल इन द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी (capital in the twenty-first century)
लेखक :- थॉमस पिकेटी
लेखक थॉमस पिकेटी की बुक ‘कैपिटल इन द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ बेस्ट सेलर रही है। अपनी सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक में थॉमस पिकेटी ने तर्क दिया कि अर्थव्यवस्था में कुछ अनुचित बिजनस प्रैक्टिस जैसे ग्रोथ बढ़ाने के लिए पूंजी पर रिटर्न देने जैसे रुझान से असमानता की खाई गहरी होती जाती है। इससे असंतोष पैदा होने का खतरा बना रहता है और लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट आती है। बिजनस से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर उन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से प्रकाश डाला है। यह किताब 2013 में फ्रेंच भाषा में प्रकाशित हुई। 2014 में यह न्यूयॉर्क टाइम्स की सूची में सर्वाधिक बिकने वाली अंग्रेजी संस्करण की किताब बनीं। जनवरी 2015 तक यह किताब फ्रेंच, अंग्रेजी, जर्मन में 1.5 लाख से अधिक प्रतियां बेच दिया था।

गर्लबॉस (GirlBoss)
लेखक :- सोफिया ऐमोरूजो
गर्लबॉस एक ऐसी लड़की की संघर्ष और अतिमहत्वकांक्षा की हकीकत है जो आज एक कंपनी की फाउंडर और 100 मीलियन डॉलर से अधिक संपत्ति की मालकीन हैं। हम बात कर रहे हैं गर्लबॉस की लेखिका और नास्टी गल की फाउंडर सोफिया ऐमोरूजो की। सोफिया ऐमोरूजो ने गर्लबॉस में आंशिक रूप से इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किस तरह से उसने अपनी कंपनी शुरू की और उसे बढ़ाया। इसमें एक सफल उद्यमी बनाने के हर तरीके पर प्रकाश डाला है। जब सोफिया 17 साल की थी तब उस नरक से निकलकर यह मुकाम हासिल किया। आज वह 29 की हो गई हैं और कई लोगों की प्रेरणा स्रोत भी हैं।

फिअरलेस जीनियस: द डिजिटल रिवॉल्यूशन इन सिलिकन वैली
(Fearless Genius: The Digital Revolution in Silicon Valley )
लेखक : डॉउग मैनज
इस पुस्तक में टेक की दुनिया के बड़े नाम जैसे स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स और जॉन डोएर आदि की जीवन यात्रा का उल्लेख मिलता है। यह पुस्तक टेक आंत्रप्रन्योर या इन्वेस्टर बनने के इच्छुक लोगों के लिए काफी फायदेमंद है। यह वह किताब है जो सिलकन वैली के 17 निर्माताओं की संघर्ष और जुझने की कहानी है। इस किताब में जिन लोगों की जीवन यात्रा को शामिल किया गया है वह आज विश्व अर्थव्यवस्था के बेताज बादशाह हैं। उनकी वह कहानी इस किताब में जिसमें कैसे इन लोगों निराशा से भरे जीवन से खुद को उबारा और डूबने की कगार पर खड़ी कंपनी को आज खरबों का बना दिया।

क्रिऐटिविटी इंक (Creative Inc)
लेखक :- एमी वैलेस एवं एड कैटमल
क्रिऐटिविटी इंक ऐसी पुस्तक है जिसे हर मैनेजरों को पढ़ना चाहिए। इस पुस्तक में बताया गया है कि आप किस तरह से अपनी टीम को नई बुलंदी तक ले जाने में मदद करेंगे और क्वॉलिटी वर्क करेंगे। यह किताब एक ऐसे मैनेजर की है जो अपने कर्मचारियों से अधिक से अधिक काम लेने का इच्छुक है और वह इसके लिए क्या-क्या करता है। इसके लिए वह कर्मचारियों को ट्रिप पर ले जाता है, फिल्म दिखाता है, उन्हीं से आइडिया लेता और कंपनी को ऊंचाई पर ले जाता है।

हाऊ गूगल वर्क्स (How Google Work)
लेखक : एरिक, जॉनथान रोजनबर्ग एवं एलन ईगल
आज गूगल जिस ऊंचाई पर शायद कभी गूगल के फाउंडर और सीईओ ने सोचा होगा। हाऊ गूगल वर्क्स किताब में गूगल के ऐग्जिक्युटिव चेयरमैन और पूर्व सीईओ एरिक शिम्ट एवं प्रॉडक्ट्स के पूर्व एसवीपी जानथन रोजनबर्ग ने इस बात का उल्लेख किया है कि उनको गूगल को बनाने में किस चीज की सीख मिली। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि टेक्नॉलजी ने किस तरह से पावर बैलेंस को शिफ्ट किया है और इस परिवर्तन के अनुसार खुद को कोई व्यक्ति कैसे ढाल सकते हैं। इस किताब में दोनों के उन दिनों की कहानी है जब गूगल गूगल नहीं था। गूगल को यहां तक लाने में दिन रात की मेहनत क्रिएटीविटी और तकनीक मैनेजमेंट का कैसे प्रयोग किया, इस किताब में इसका उल्लेख है।

Monday, 20 June 2016

भारत में प्रतिबंधित हुर्इं पांच विवादित किताबें ...

इतिहास के पन्नों को पलटकर अगर देखा जाए तो कई ऐसे पन्ने हैं तो किताबों और लेखकों पर प्रतिबंध से जुड़े हैं। कई ऐसे भी स्याह पन्ने हैं जो अब पलटने पर एक दर्द सा उभर आता है। यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उस घटना को वह कैसे देखता है। वैसे विवादित किताबों को प्रतिबंधित करना कोई नई बात नहीं है। आज के जमाने में तो सिर्फ किताबों पर ही प्रतिबंध लगाया जाता है, लेकिन इतिहास बताता है कि लेखकों को उनकी किताबों के साथ जिंदा जला दिया जाता अगर वह किताब थोड़ी सी भी विवादास्पद होती या राजा के खिलाफ होती। ऐसे किताबे और लेखक को राजद्रोही माना जाता और उन्हें इसके लिए सजा दी जाती। अगर भारत की बात करें तो यह भारत में भी परंपरा रही है। मुगल शासनकाल हो या अंग्रेजों के शासन काल सभी के शासनकाल में लेखकों और किताबों को दबाया गया। अतीत में जैसे मदर इंडिया किताब से लेकर हाल-फिलहाल में शिवाजी पर आई लेखक जेम्स लेन की किताब-शिवाजी द हिंदू किंग इन मुस्लिम इंडिया पर देश में हंगामा हो चुका है। फिलहाल हम भारत में लगाए गए कुछ किताबों पर प्रतिबंध के बारे में बात करेंगे। हालांकि अब  यह सभी किताबें किसी भी ऑनलाइन बुक स्टोर (online bookstore) पर आराम से उपलब्ध हैं। जहाँ से कोईं भी इस किताब को ऑन लाइन खरीद (buy books online) सकता है. 

द हिंदूज: एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री (The Hindus: An Alternative History)
'द हिंदूज-एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री' जैसा कि नाम से ही साफ है, किताब हिंदू धर्म पर दूसरा नजरिया पेश करने का दावा करती है। इसे लिखा है अमेरिकी लेखिका वेंडी डोनिगर ने। वो भारतीय विषयों की अमेरिकी विद्वान हैं। लेकिन विरोधियों का कहना है कि उनकी किताब में विद्वता जैसी कोई बात नहीं। किताब में तथ्यात्मक गलतियां हैं। ये हिंदू धर्म की भावनाओं को आहत करती है। फरवरी 2014 में धार्मिक संगठनों के विरोध के बाद पिछले साल पेंगुइन इंडिया ने वेंडी डोंनिगर की किताब ‘द हिंदूज: एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री’ को वापस ले लिया। लेकिन आज के इंटरनेट के जमाने में इसे रोकना मुश्किल है। पढ़ने वाले इसे या तो आॅनलाइन बुक्स स्टोर से मंगा लेंगे या ईबुक खरीद लेंगे। 

द सैटनिक वर्सेज (The setenic verses)
बीसवीं सदी की सबसे विवादित किताबों में से एक सलमान रुश्दी की 'द सैटनिक वर्सेज' ने ग्लोबल लेवल पर विवाद को जन्म दिया। 1988 में प्रकाशित इस किताब के बाद अयातुल्लाह खोमैनी ने रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया। हालांकि इस फतवे से पहले किताब को प्रतिबंधित करने वाला पहला देश भारत था। इस किताब को प्रतिबंधित करने के पीछे जो दलील दी गई उसमें कहा गया कि इस किताब ने इस्लाम का अपमान किया। उनकी हत्या करने के एलान की प्रतिक्रिया के रूप में, रुश्दी ने लगभग एक दशक, मुख्यत: भूमिगत होकर बिताया, जिसके दौरान कभी-कभार ही वे सार्वजनिक रूप से प्रकट होते थे, लेकिन उन पर एक लेखक के रूप में नियंत्रणकारी प्रभाव डालने वाले और सन्निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खतरे के रूप में फतवे के खिलाफ वे मुखर रहे। जब भारतीय सरकार ने ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर प्रतिबंध लगाया था। इसके कुछ हिस्से उस पैगंबर की एक काल्पनिक गाथा हैं, जो निर्बाध रूप से मोहम्मद से प्रभावित था। किताब को भारतीय सीमा शुल्क अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया। 

एन एरिया आॅफ डार्कनेस (An Area Of Darkness)
भारतीय मूल के लेखक और बाद में साहित्य नोबेल पुरस्कार विजेता वीएस नॉयपॉल की किताब ‘एन एरिया आॅफ डॉर्कनेस’ को 1964 में भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया। नॉयपॉल ने अपनी इस किताब में भारत के सामाजिक और आर्थिक प्रगति पर सवाल उठाए थे। इस किताब में वीएस नायपॉल द्वार 1964 में की गई भारत यात्रा का वृत्तांत है। इस किताब में भारत को एक गहरा निराशावादी और अंधेरे में रहने वाला देश बताया गया था। इस किताब में भारत की सभ्यता और संस्कृति को निशाना बनाने आरोप था। इसमें भारत की जनता का नकरात्मक चित्रण किया गया था। इस कारण सभी वर्गों ने इसका विरोध किया। विरोध की स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने इसे देश भर में प्रतिबंधित कर दिया।

नाइन आॅवर्स टू रामा (Nine hours to Rama)
अमेरिकी लेखक स्टैनले वोलपर्ट की फिक्शन रचना ‘नाइन आॅवर्स टू रामा’ को 1962 में प्रतिबंधित कर दिया गया। इस किताब में स्टैनले ने गोडसे के हाथों गांधी की हत्या के आखिरी नौ घंटों का विवरण रचा था। इस किताब को लेकर देश भर में भारी विवाद हुआ और इस किताब पर फिल्म भी बनाई गई। हलांकि फिल्म भी प्रतिबंधित कर दी गई। स्टैनले ने अपनी किताब में गांधी की हत्या के लिए सुरक्षा कारणों के साथ साजिश को रेखांकित किया था। दिलचस्प है कि वोलपर्ट ने जिन्ना पर भी किताब लिखी और उसे भी पाकिस्तान में प्रतिबंधित कर दिया गया। 


द फेस आॅफ मदर इंडिया 
अमेरिकी इतिहासकार कैथरीन मायो 1927 में अपनी किताब ‘द फेस आॅफ मदर इंडिया’ के प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक विवादों के घेरे में आ गई। इस किताब में कैथरीन ने कहा था कि भारत स्वराज के काबिल नहीं है। महात्मा गांधी ने इस किताब को ‘रिपोर्ट आॅफ अ ड्रेन इंस्पेक्टर’ कहा था। इस किताब में कैथरीन मेयो ने भारतीय समाज, धर्म और संस्कृति पर हमला किया है। यह किताब अंग्रेजों से स्व-शासन और आजादी के लिए भारतीय मांगों के खिलाफ लिखा गया था। पुस्तक भारत की महिलाओं को अछूत, पशु, गंदगी बताया गया था। किताब का एक बड़ा हिस्सा भारतीय लड़कियों के विवाह से संबंधित था। 

Wednesday, 8 June 2016

Top 7 Best Selling Books of All Times

Too little time and too much to read, this is a common problem that each and every book lover faces. 
Well, we have just tried to make an comprehensive list  of 7 such books which created ripples when they were published and their charm has not eluded even after centuries!
Yes, centuries, and trust us they even bestsellers like Harry Potter and Twilight!!
These classic fiction books are always fresh and charming for a reader who is born after centuries. In some cases, the book which was your grandfathers' favorite will also be an equally interesting read for you.

A Tale of Two Cities

A Tale of Two Cities (1859) is a novel written by Charles Dickens. It has been set in London and Paris before and during the French Revolution. The novel throws light on the plight of the French peasantry before the revolution. Depicting the contemporary times the novel opens with lines, ' "It was the best of times, it was the worst of times...". This classic novel is one of the best-selling novels ever written, with over 160 million copies sold.  A Tale of Two Cities is one of the few works of historical fiction by Charles Dickens. 


The Lord of the Rings

The Lord of the Rings is an epic-fantasy novel written by J. R. R. Tolkien. The story began as a sequel to Tolkien's 1937 fantasy novel The Hobbit, but eventually developed into a much larger work.  The Lord of the Rings is one of the best-selling novels ever written, with over 150 million copies sold.The title of the novel refers to the story's main antagonist, the Dark Lord Sauron, who had in an earlier age created the One Ring to rule the other Rings of Power as the ultimate weapon in his campaign to conquer and rule all of Middle-earth. From quiet beginnings in the Shire, a hobbit land not unlike the English countryside, the story ranges across Middle-earth, following the course of the War of the Ring through the eyes of its characters, not only the hobbits Frodo Baggins, Samwise "Sam" Gamgee, Meriadoc "Merry" Brandybuck and Peregrin "Pippin" Took, but also the hobbits' chief allies and travelling companions: the Men Aragorn son of Arathorn, a Ranger of the North, and Boromir, a Captain of Gondor; Gimli son of Glóin, a Dwarf warrior; Legolas Greenleaf, an Elven prince; and Gandalf, a Wizard.


The Little Prince

The Little Prince (French: Le Petit Prince), first published in 1943, is a novella, the most famous work of the French aristocrat, writer, poet, and pioneering aviator Antoine de Saint-Exupéry (1900–1944). The novella is the fourth most-translated book in the world and was voted the best book of the 20th century in France. Translated into more than 250 languages and dialects (as well as Braille), selling nearly two million copies annually with sales totaling over 140 million copies worldwide, it has become one of the best-selling books ever published.After the outbreak of the Second World War Saint-Exupéry was exiled to North America. In the midst of personal upheavals and failing health, he produced almost half of the writings for which he would be remembered, including a tender tale of loneliness, friendship, love, and loss, in the form of a young prince fallen to Earth. An earlier memoir by the author had recounted his aviation experiences in the Sahara Desert, and he is thought to have drawn on those same experiences in The Little Prince.


Harry Potter and the Philosopher's Stone

Harry Potter and the Philosopher's Stone is the first novel in the Harry Potter series and J. K. Rowling's debut novel, first published in 1997 by Bloomsbury. It was published in the United States as Harry Potter and the Sorcerer's Stone by Scholastic Corporation in 1998. The novel won most of the British book awards that were judged by children and other awards in the US. The book reached the top of the New York Times list of best-selling fiction in August 1999 and stayed near the top of that list for much of 1999 and 2000. It has been translated into at least sixty-seven other languages and has been made into a feature-length film of the same name.The book is one of the best-selling books ever written, with over 107 million copies sold.






And Then There Were None

And Then There Were None is a mystery novel by Agatha Christie, widely considered her masterpiece and described by her as the most difficult of her books to write. It was first published in the United Kingdom by the Collins Crime Club on 6 November 1939, as Ten Little Niggers, after the British blackface song, which serves as a major plot point. The US edition was not released until December 1939; its American reprints and adaptations were all retitled And Then There Were None, the last five words in the original American version of the nursery rhyme ("Ten Little Indians").It is Christie's best-selling novel; with more than 100 million copies sold, it is also the world's best-selling mystery and one of the best-selling books of all time. Publications International lists the novel as the seventh best-selling title.



Dream of the Red Chamber

Dream of the Red Chamber, also called The Story of the Stone, composed by Cao Xueqin, is one of China's Four Great Classical Novels. It was written sometime in the middle of the 18th century during the Qing Dynasty. Considered a masterpiece of Chinese literature, it is generally acknowledged to be the pinnacle of Chinese fiction. "Redology" is the field of study devoted exclusively to this work.The title has also been translated as Red Chamber Dream and A Dream of Red Mansions. The novel circulated in manuscript copies with various titles until its print publication, in 1791. While the first 80 chapters were written by Cao Xueqin, Gao E, who prepared the first and second printed editions with his partner Cheng Weiyuan in 1791–2, added 40 additional chapters to complete the novel.More than 100 million copies of book sold.





She: A History of Adventure

She - subtitled A History of Adventure - is a novel by H. Rider Haggard (1856–1925), first serialised in The Graphic magazine from October 1886 to January 1887. She is one of the classics of imaginative literature, and one of the best-selling books of all time, with over 100 million copies sold in 44 different languages as of 2013. She was extraordinarily popular upon its release and has never been out of print. According to literary historian Andrew M. Stauffer, She has always been Rider Haggard's most popular and influential novel, challenged only by King Solomon's Mines in this regard. The book is selling nearly two million copies annually with sales totaling over 100 million copies worldwide

Thursday, 2 June 2016

क्या ई-बुक का आना किताबों की दुनिया में क्रांति है.....

सूचना क्रांति के बाद हुए व्यापक बदलाव ने हमारी दुनिया को तो बदल ही दिया है। वहीं इस क्रांति ने सभी स्तर पर कई सवाल भी खड़े किए है जिसका जवाब देना मुश्किल होता है। इसके व्यापक रूप से गंभीर परिणाम हुए। गंभीर का आशय है कि अच्छे में भी बुरे में भी। समाजिक प्रभाव के साथ-साथ यह स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी, संचार सहित कई हिस्सों को प्रभावित किया है। इसमें एक हिस्सा किताबों का भी है। जिस तरह से किताबों के आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) खुल रहे हैं और किताबें बिक रही हैं उसने तो प्रकाशकों के लिए कई दरवाजे खोल दिए हैं, वह भी फिलहाल के लिए, क्योंकि इसके बाद वाले बदलाव के लिए कौन प्रकाशक तैयार यह देखना अभी बाकी है। वह दौर होगा ई-बुक का, जिसको लेकर यह सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि क्या ई-बुक (e book) का आना किताबों की दुनिया में क्रांति है? 

पाठक लेखक सभी के लिए सुविधा जनक

वैसे ई-बुक में साहित्य से लेकर पाठ्य-सामग्री की उपलब्धता ने लेखकों, प्रकाशकों और पाठकों के परंपरागत अनुभवों और संबंधों में आमूल-चूल बदलाव को अंजाम दिया है। इस रूप में अब कोई भी किताब प्रिंट फॉर्मेट के अलावा डिजिटल माध्यमों से भी पाठकों तक पहुंच रही हैं। आॅन लाइन बुक्स  स्टोर के आने से पहले छपी हुई किताबों की बिक्री और उन्हें पाठकों तक आसानी से पहुंचाना लेखकों और प्रकाशकों के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। पाठक के हाथ में किताब के आने तक उसकी लागत भी बढ़ जाती है और मूल्य अधिक होने के बावजूद लेखक को मिलनेवाली रॉयल्टी भी पर्याप्त नहीं हो पाती। लेकिन ई-बुक ने बहुत हद तक इस समस्या का समाधान कर दिया है। डिजिटल फॉर्मेट में होने के कारण प्रिंट की तुलना में किताब की लागत बहुत कम हो जाती है। ई-बुक को आॅनलाइन बुक्स स्टोर पर बाई बुक्स आॅनलाइन (buy books online) अपलोड कर दिया जाता है, जहां से मामूली कीमत चुका कर कोई भी पाठक दुनिया के किसी भी हिस्से में उसे डाउनलोड कर सकता है। किताब की कीमत का बड़ा हिस्सा रॉयल्टी के रूप में सीधे लेखक के पास जाता है। 

प्रकाशन के समीकरणों में भी बदलाव

परंपरागत रूप में किसी लेखक को किताबें छपवाने के लिए स्थापित प्रकाशक के पास जाना पड़ता है। प्रकाशक लेखक की लोकप्रियता और बिक्री की संभावनाओं के आधार पर छापने या न छापने का फैसला करता है। यही कारक रॉयल्टी की रकम का निर्धारण भी करते हैं। अमूमन नए लेखकों के लिए छपना एक कठिन और लंबी प्रक्रिया होती है। लेकिन, डिजिटल तकनीक ने लेखक को छपने, कीमत और रॉयल्टी तय करने, पाठक से सीधे जुड़ने का प्लेटफॉर्म मुहैया कराया है। ई-बुक के फॉर्मेट ने नवोदित लेखकों को प्रकाशन-जगत में अपनी दखल देने का एक अवसर भी उपलब्ध कराया है। अब उन्हें प्रकाशकों की चिरौरी करने और अपने हिस्से की रॉयल्टी के लिए हाथ पसारने की जरूरत नहीं है।
 

हिंदी ई-बुक्स की आमद

तीन साल पहले तक इंटरनेट पर हिंदी ई-बुक्स (hindi books online) की स्तरीय साहित्यिक और सांस्कृतिक पत्रिकाएं उपलब्ध नहीं थीं। लेकिन अब वह हर आॅनलाइन बुक्स स्टोर पर असानी से उपलबध हैं। आजकल तो नए छपने वाले हिन्दी या इंग्लिश साहित्य के अब तीन फॉर्मेट हो गए हैं, हार्डबाउंड, पेपर बैक और ई-बुक। क्योंकि प्रकाशक भी जमाने की मिजाज को समझते हुए यह फैसला ले रहे हैं। अब तो हिंदी के अलावा कन्नड़, पंजाबी और तेलुगु साहित्य के लिए भी इस सुविधा का विस्तार किया जा रहा है। 

Tuesday, 24 May 2016

आॅनलाइन शॉपिंग में यंगस्टर्स की डिमांड किताब और गैजेट्स

भारत में आॅनलाइन शॉपिंग का चलन दो तीन साल से बेहद तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ती भागीदारी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी यंगस्टर्स की है। इसमें वैसे किशोर सबसे ज्यादा हैं जो अभी-अभी किशोरास्था में प्रवेश किया है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के एक सर्वे ने यंगस्टर्स को लेकर कई खुलासे हुए हैं जो आश्चर्यजनक है।  आॅनलाइन शॉपिंग की खुमारी दिल्ली के यंगस्टर्स के सिर चढ़कर बोल रही है। देश के 14 शहरों के किशोरों में दिल्ली के यंगस्टर्स आॅनलाइन शॉपिंग के मामले में सबसे आगे हैं। मुंबई के किशोर दूसरे, भुवनेश्वर के तीसरे और लखनऊ के किशोर चौथे नंबर पर हैं। अहम बात यह है कि आॅनलाइन शॉपिंग में जुटी यंगस्टर्स की ये फौज आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) से किताबों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को महत्व दे रही है। जबकि खिलौनों की खरीदारी सबसे निचले पायदान पर है। यह तथ्य टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा कराए गए सर्वे में सामने आए हैं। सर्वे में 12,365 यंगस्टर्स को शामिल किया गया। सर्वे में दिल्ली के 79.4 फीसदी यंगस्टर्स ने स्वीकार किया कि वे आॅनलाइन शॉपिंग करते हैं। इसके बाद 74.3 फीसदी के आंकड़े के साथ मुंबई के यंगस्टर्स दूसरे और 74.2 फीसदी के आंकड़े के साथ भुवनेश्वर के यंगस्टर्स तीसरे नंबर पर हैं। चौथे नंबर पर 72.1 फीसदी के साथ लखनऊ के यंगस्टर्स हैं। 53 फीसद के साथ नागपुर के किशोर सबसे निचले पायदान पर हैं। अब सवाल यह है कि यंगस्टर्स आॅनलाइन शॉपिंग से क्या खरीद रहे हैं? सर्वे से पता चला है कि यंगस्टर्स पहले नंबर पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की खरीदारी कर रहे हैं और दूसरा नंबर किताबों का है। सभी 14 शहरों के स्तर पर देखें तो इलेक्ट्रनिक गैजेट्स खरीदने वाले यंगस्टर्स का फीसदी 64.5 फीसद है जबकि 61.2 फीसद यंगस्टर्स किताबें खरीदते (buy books online) हैं। मात्र 10.2 फीसदी यंगस्टर्स ने स्वीकार किया है कि वे आॅनलाइन शॉपिंग के माध्यम से खिलौने खरीदते हैं।
यह है टॉप शहर
रैंक    शहर    सर्वे में शामिल किशोरों का%
1.    दिल्ली            79.4
2.    मुंबई               74.3
3.    भुवनेश्वर         74.2
4.    लखनऊ            72.1


आॅनलाइन शॉपिंग में क्या खरीदते हैं यंगस्टर्स
रैंक    समान    सर्वे में शामिल किशोरों का%
1.    गैजेट्स        64.5
2.    किताब         61.2
3.    खिलौने        10.2

Friday, 20 May 2016

किताबों का आॅनलाइन बिजनेस और हिन्दी-अंग्रेजी की किताबें

आज का हर उपभोक्ता स्मार्ट हो गया है और कोई भी सामान चाहे वह किताब खरीदने (buy books online) से पहले आॅफलाइन एवं आनलाइन की तुलना जरूर करता है। इसके बाद जो उसे सस्ता और सुलभ होता है वह खरीदता है। सस्ता और अधिक सुलभ होने के कारण ही आज ईकमर्स का व्यापार आसमान पर है। इसमें सभी व्यपारी शामिल हैं। अगर हम किताबों की बात करें तो प्रकाशक से लेकर डिस्ट्रीब्यूटर तक सभी आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) के साथ काम कर रहे हैं। कई प्रकाश और वितरक यह स्वीकार करते हैं कि उनके यहां की कुल बिक्री में से 10 फीसदी आज आॅनलाइन से ही हो रही है, जबकि उनकी फर्म को भी इस माध्यम से जुड़े 4-5 साल ही हुए हैं। वहीं यह सवाल भी उठता है कि क्या ये वही पारंपरिक खरीदार हैं, जिन्होंने अब नया जरिया अपनाया है? विशेषज्ञों, प्रकाशकों एवं वितरकों का मानना है, शायद नहीं। इन सभी का मानना है कि ‘ये उनके नए ग्राहक हैं।’ ज्यादातर नई पीढ़ी के ऐसे ग्राहक, जो नेट पर दूसरी तमाम चीजों की खोज-पड़ताल करते हुए पसंदीदा किताबों तक भी पहुंच और खरीद रहे हैं। यह बात हर कोई खिले चेहरे के साथ बयान करता है कि किताबों की आॅनलाइन बिक्री ने उनके लिए संभावनाओं का एक नया दरवाजा खोल दिया है।
भारत में आॅनलाइन कारोबार लगभग 1.5 लाख करोड़ रु. सालाना से ऊपर पहुंच चुका है। इसमें किताबों के हिस्से का आंकड़ा तो ठीक-ठीक पता नहीं पर अंग्रेजी किताबों की बिक्री 4-5 साल पहले ही उत्साहजनक स्तर पर पहुंच चुकी थी। हिंदी में अब जाकर स्थिति थोड़ी चर्चा के काबिल बनी है। यह बात हर प्रकाशक मान रहा है कि आॅनलाइन सेल बढ़ रही है। किताबों की बेहतर आॅनलाइन बुक (online book) सेल के अपने फंडे हैं। मसलन, लेखक का चर्चित होना, उसका खुद आगे बढ़कर सोशल साइट्स पर किताब का प्रमोशन करना और प्रकाशक का भी आक्रामक रुख रखना। अंग्रेजी में चेतन भगत, रश्मि बंसल, अमीष त्रिपाठी जैसे लेखकों की किताबों के साथ यही होता रहा है। भगत के नए उपन्यास रिवोल्यूशन 20-20 के छपकर आने से पहले ही, बताते हैं कि आॅनलाइन 50,000 प्रतियों से ज्यादा के आॅर्डर मिल गए थे। हिंदी में यह स्थिति अभी अपवाद है। 
       अंग्रेजी और हिंदी में आॅनलाइन सेल के फर्क को जानकार भी रेखांकित करते हैं।  खैर, इसमें अभी थोड़ा समय लगेगा। इसकी  वजहें हैं। अधिकांश प्रकाशकों का कहना है कि हिंदी क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की उपलब्धता के कम होने के अलावा उसके उपयोग में हिचक भी है। आम राय यही बनती दिखती है, जैसा कि ‘हिंदी में संभावनाएं बहुत हैं’ पर उनके साकार होने में अभी समय लगेगा।

Friday, 29 April 2016

पांच साल में 100 अरब डॉलर का होगा ई-कॉमर्स कारोबार

भारत में ई-कॉमर्स कारोबार वर्ष 2020 तक छह गुणा बढ़कर 100 अरब डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच जाएगा। उद्योग संगठन सीआईआई ने बाजार अध्ययन कंपनी डिलॉयट के साथ मिलकर किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि वर्ष 2015 के अंत तक देश का ई-कॉमर्स कारोबार 16 अरब डॉलर का था। अगले पांच साल में 2020 के अंत तक यह 101.9 अरब डॉलर का हो जाएगा। उसने बताया कि इसकी सफलता के पीछे मुख्य कारण सतत नवाचार, प्रक्रियाओं को डिजिटलीकरण तथा स्मार्टफोनों, मोबाइल डिवाइसों तथा इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2013 में भारतीय ई-कॉमर्स बाजार 2.9 अरब डॉलर का था। साल 2014 में यह 13.6 अरब डॉलर तथा 2015 में 16 अरब डॉलर का हो गया। वर्ष 2018 में इसके 40.3 अरब डॉलर तथा 2020 में 101.9 अरब डॉलर का होने का अनुमान है। मध्यम वर्गीय ग्राहकों की संख्या 41 प्रतिशत बढ़ चुकी है तथा खरीददारी की आदतों में बदलाव के कारण आॅनलाइन खरीददारी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस कारण कोई भी समान आॅनलाइन बुक (online books )कराने वाले और खरीददारों की संख्या 2013 के दो करोड़ से बढ़कर 2015 में तीन करोड़ 90 लाख पर पहुंच गई। एक क्लिक करते ही वैश्विक उत्पादों जैसे ऑनलाइन किताबें खरीदना (buy books online), मोबाइल बुक कराना सहित सुई से लेकर घर तक की उपलब्धता तथा सूदुर इलाकों में भी डिलिवरी की संभाव्यता के कारण वर्ष 2018 में इसके 14 करोड़ तथा 2020 में 22 करोड़ पर पहुंचने की उम्मीद है। देश के कुल मोबाइल उपभोक्ताओं में फिलहाल 11 प्रतिशत ही आॅनलाइन शॉपिंग करते हैं। इनका प्रतिशत 2018 में बढ़कर 25 पर तथा 2020 में 36 पर पहुंचने की उम्मीद है। संख्या के साथ-साथ प्रत्येक ग्राहक की खरीददारी की राशि भी बढ़ने की उम्मीद है। अभी जहां हर आॅनलाइन ग्राहक औसतन साल में 247 डॉलर की खरीददारी करता है, वहीं 18 प्रतिशत की चक्रवृद्धि दर से बढ़ती हुई 2020 में उनकी खरीददारी बढ़कर 464 डॉलर सालाना हो जाएगी। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने भी शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि वर्ष 2023 तक दुकानों और मॉलों की चाहरदीवारी से होने वाला कारोबार अपने मौजूदा स्वरूप में समाप्त हो जाएगा और देश का ई-कॉमर्स बाजार बढ़कर 300 अरब डॉलर का हो जाएगा।

Wednesday, 20 April 2016

‘विश्व पुस्तक दिवस’ पर कुछ नया करने का प्रयास करें



‘विश्व पुस्तक दिवस’ का उद्देश्य विश्व भर के लोगों को, और खासकर युवाओं को, पठन-पाठन का आनंद उठाने की प्रेरणा देना है। साथ ही इस दिवस का उद्देश्य उन सभी लेखकों के लिए आदर का भाव जगाना है, जिन्होंने मानवता की सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति में सहयोग दिया है। इसलिए 23 अप्रैल को विश्व साहित्य के प्रतीक दिवस के रूप में ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1616 में सवंर्तेस, शेक्सपियर और इन्का गर्सिलासो दे ला वेगा की मृत्यु हुई थी। यह दिन कई और प्रमुख लेखकों का भी जन्म या फिर मरण दिवस है। विश्व भर के लेखकों को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया जाना एक स्वाभाविक कदम था। इसी दिशा में कदम उठाते हुए, यूनेस्को ने विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस की स्थापना की। लेकिन यूनेस्को के उद्देश्य से पूरा विश्व ही भटक गया था। लोग किताबों से दूरी बनाने लगे थे। लेकिन आॅनलाइन बुक्स (online books) स्टोर्स ने इस दूरी को कम करने में बहुत ही मदद की है। अब लोगों कि पहुंच किताबों तक आसानी से और लोग आनलाइन बुक्स स्टोर से किताबें खूब खरीद (buy books online) रहे हैं। वैसे इसके लिए कुछ अलग से करने की जरूरत है। वैसे किताबें बच्चों में अध्ययन की प्रवृत्ति, जिज्ञासु प्रवृत्ति, सहेजकर रखने की प्रवृत्ति और संस्कार रोपित करती हैं। पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान देती हैं, बल्कि कला, संस्कृति, लोकजीवन, सभ्यता के बारे में भी बताती हैं। ऐसे में पुस्तकों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करना जरूरी हो गया है। इसके अलावा तमाम बच्चे गरीबी के चलते भी पुस्तकें नहीं पढ़ पाते, इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों के लिए विभिन्न जानकारियों व मनोरंजन से भरपूर पुस्तकों की प्रदर्शनी जैसे अभियान से उनमें पढ़़ाई की संस्कृति विकसित की जा सकती है।
वैसे इंसान के स्कूल से आरंभ हुई पढ़ाई जीवन के अंत तक चलती है जब तक उसकी आंखे धुंधली नहीं हो जाती। लेकिन आज कम्प्यूटर और इंटरनेट के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के कारण पुस्तकों से लोगों की दूरी घटती जा रही है। आज के युग में लोग इंटरनेट के माध्यम से किताबें खरीद रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट के कारण किताबों के प्रति लोगों का रुझान कम हुआ है और किताब और किताब प्रेमियों के बीच यह दूरी और बढ़ी है। यही कारण है कि लोगों और किताबों के बीच की दूरी को पाटने के लिए यूनेस्को ने ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाने का निर्णय लिया। पहली बार 23 अप्रैल, 1995 को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाया गया था। बाद में यह हर देश में व्यापक होता गया। किताबों का हमारे जीवन में क्या महत्व है, इसके बारे में बताने के लिए ‘विश्व पुस्तक दिवस’ पर विभिन्न शहरों में कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
वैसे भारत में ‘सभी के लिए शिक्षा कानून’ को इसी दिशा में देखा जा रहा है। जागरुकता अभियान लोगों में पुस्तक प्रेम को जागृत करने के लिए मनाये जाने वाले ‘विश्व पुस्तक दिवस’ पर जहां स्कूलों में बच्चों को पढ़़ाई की आदत डालने के लिए सस्ते दामों पर पुस्तकें बांटने जैसे अभियान चलाये जा सकते हैं, वहीं स्कूलों या फिर सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शनियां लगाकर पुस्तक पढ़ने के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। स्कूली बच्चों के अलावा उन लोगों को भी पढ़़ाई के लिए जागरूक किया जाना जरुरी है जो किसी कारणवश अपनी पढ़़ाई छोड़ चुके हैं। पुस्तकालय इस सम्बन्ध में अहम भूमिका निभा सकते हैं, बशर्ते उनका रख-रखाव सही ढंग से हो और स्तरीय पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएं वहां उपलब्ध कराई जाएं। इस ‘विश्व पुस्तक दिवस’ पर आप भी संकल्प करें की लोगों को किताबों की प्रति रुचि बढ़ाने के लिए कई प्रयास करेंगे। 

Saturday, 16 April 2016

ई-बुक से होंगे बच्चों के कंधे हल्के

कभी-कभी सरकार की पहल आपकी समस्या बढ़ती है तो कभी आपको समस्याओं से मुक्ति की पहल करती है। ऐसा ही एक पहल केंद्र सरकार ने की है जिससे बच्चों के कधें से बस्ते का बोझ हल्का होगा। नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने हाईटेक तकनीक अपनाते हुए ई-बुक कॉन्सेप्ट लॉन्च करने की योजना बनाई है। एनसीईआरटी ने ई-बुक कॉन्सेप्ट पहली बार अपनाई है। इस कॉन्सेप्ट के तहत मोबाइल से एनसीईआरटी की आनलाइन बुक्स डाउनलोड की जा सकेंगी। इससे पहले भी एनसीईआरटी बुक का मोबाइल एप्लिकेशन उपलब्ध था, लेकिन उसे प्राइवेट कंपनियों द्वारा संचालित किया जा रहा था। ई-बुक (e books)मोबाइल एप्प जून के पहले हफ्ते में भी लॉन्च किए जाने की योजना है। वर्तमान में एनसीईआरटी की किताबें पीडीएफ फॉर्म में उपलब्ध हैं। लेकिन इसे देखने में छात्रों को परेशानी होती है। इन्ही समस्याओं से निजात दिलाने व हाईटेक तरीके से बुक्स उपलब्ध कराने के लिए कॉन्सेप्ट को अपनाया गया है। इस एप में छात्रों की पढ़ाई से जुड़ी हर समस्याओं का ध्यान रखा गया है। ई-बुक का यह कॉन्सेप्ट डिजिटल लाइब्रेरी के तौर पर काम करेगा। इसमें जिस विषय की बुक्स के बारे में आप सर्च करें वह किताब आपको दिखाई देगी। साथ ही इसमें कई ऐसे टूल्स होंगे जो आपको बुक्स को आसानी से ढूंढने में आपकी सहायता करेंगे। अगर कोई छात्र किसी शब्द या पूरे वाक्य का मतलब नहीं समझ रहा है तो उसके पास आॅप्शन होगा जहां से क्लिक करके उस शब्द या वाक्य का मतलब समझा जा सकता है। यह एप छात्रों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएंगी। ई-बुक्स को आॅनलाइन बुक्स (online books)मुफ्त में डाउनलोड करके अपने मोबाइल, पीसी, या लैपटॉप में आसानी से पढ़ा जा सकेगा।

Friday, 26 February 2016

आत्मविश्वास की पुंज हैं किताबें

हमें कोई भी काम करने के लिए आत्मविश्वास की जरूरत होती है। इसके कई स्रोत भी होते हैं जो हमें आत्मबल और आत्मविश्वास देते हैं। इसमें हमारे माता-पिता, भाई-बहन और अन्य सगे संबंधी के साथ वह महान व्यक्ति भी शामिल होता है जिसके बारे में हमने कहानी या अपने शिक्षक के माध्यम से पढ़े या सुने रहते हैं। वह हमें आगे बढ़ने एवं अच्छे काम के लिए प्रेरणा देते हैं। यह तो उस अवस्था कि बात हो गई जब हम बड़े बुजुर्गों की देख रेख में अपने आप को संवारते हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी आता है कि आप अकेले होते और आपको गाइड करने वाला कोई नहीं होता और आपमें आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। ऐसे में क्या करना चाहिए आपको सुझता नहीं है। यह वक्त ऐसा होता है जो आपको निराशा से भर देता है। ऐसे में विशषज्ञों की राय है कि आपको ऐसे किताबों को पढ़ना चाहिए जो आपको आत्मबल प्रदान करें और आपकों निराशा से निकाले। वैसे आज के दौर में किताबों का चयन और भी आसान हो गया है। आज तमाम आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) उपलब्ध हैं जहां से आप ऐसे किताबों का चयन कर सकते हैं जो आपको आत्मविश्वास से भर दे। इसके लिए आप बाइ बुक्स आॅनलाइन (buy books online) भी कर सकते हैं। कई ऐसी वेेबसाइटें है जो आपको इस मामले में मदद भी करती हैं। आॅनलाइन बुक्स (books online ) के लिए आप योरबुकस्टाॅल (yourbookstall.com) पर भी सर्च कर सकते हैं। बाइ बुक्स आॅनलाइन  (buy books online)के लिए आज कई बुक्स स्टोर पर आज लाखों बुक्स उपलब्ध हैं जो अपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं।

Tuesday, 23 February 2016

सफल बनाती हैं किताबें.....

किसी के भी सफल जीवन के पीछे अगर आप झांकेंगे तो उस आदमी की सफलता के पीछे किताबों (books) की अहम भूमिका होती है। उसके व्यक्तित्व से लेकर उसके करियर के अयाम तक वह अपने आप को किताबों से जोड़े रखा है। उसकी सफलता का यही कारण होता है। अगर आपको भी सफलता की राह पर चलना है तो आज से ही किताबों (books) से नाता जोड़ लीजिए। आपके जीवन से करियर तक सब बेहतर हो जाएंगे। किताबों से नाता जोड़ने का यह मंतव्य बिल्कुल ही नहीं है कि सिर्फ आपने किताब पढ़ ली तो सबकुछ ठीक हो जाएगा। किताबों से जुड़ने का एक मतलब साफ है कि अच्छी किताबों को तो पढ़े ही उसमें दिए गए अच्छी बातों को चरित्र में उतारें। इससे आपका दोगुना विकास होगा। थोड़ी सी कठिनाई तो आएगी लेकिन आपके भविष्य के लिए यह बेहतर होगा। वैसे अच्छी किताबों के चयन के लिए आपको अब ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत भी नहीं है, क्योंकि आज इंटरनेट पर कई आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) उपलब्ध है जो आपके इस काम में मदद कर सकती हैं। इन वेबसाइटों पर जाकर आप बाइ बुक्स आॅनलाइन (buy books online) मनपसंद की बुक्स खरीद सकते हैं। ऐसे वेबसाइटें आॅनलाइन बुक्स (online books )रेकोमेंड भी करते हैं। आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) में कई कोटेगरी के बुक्स उपलब्ध होतें हैं। अगर आपको मालूम है कि कौन सी किताब आपको चाहिए तो आप किताबों को आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) में सर्च भी कर सकते हैं। आॅनलाइन बुक्स (online books) में कई सुविधाएं भी कंपनियां उपलब्ध करा रही हैं। जो होम डिलीवरी के साथ कैश आॅन डिलीवरी की भी सेवा उपलब्ध कराते हैं। ऐसे आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) से आप अपनी मनपसंद की किताबें बाइ बुक्स आॅनलाइन (buy books online) कर सकते हैं। अतः अच्छी किताबें (books) पढिए, उसको गुणिए और अपने जीवन को सफल बनाएं।

Monday, 22 February 2016

पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ाएं किताबें

वैसे सभी को यह ज्ञात है कि किताबें न तो कभी पुरानी होती है और न तो वह कभी बेकार होती है। इसलिए किताबें (books) अनमोल होती हैं। ऐसे में या तो उस किताब को पढ़ने के लिए अपने इष्ट-मित्रों को प्रेरित कर सकते हैं या किसी ऐसे वंचितों को दान दे सकते हैं जो किताबों का शौकिन हो। ऐसे में एक तो किताब की उपयोगिता बरकरार रहेगी और दूसरी आपके जैसा कोई वंचित भी अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। दूसरी व्यवस्था यह है कि उस किताब को आप आॅनलाइन बुक्स बेंच भी सकते हैं। इसके लिए आॅनलाइन (online books) कई वेबसाइट उपलब्ध है जो ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। इन वेबसाइटों पर आप अपनी किताबें वंचितों के लिए फ्री या बेहद कम दामों पर बेच सकते हैं। ऐसी ही वेबसाइटों में योरबुकस्टालडाॅटकाॅम  जैसे साइटें है जो आपके परमार्थ में मदद कर सकती है। यहां आप बाइबुक्स आॅनलाइन (buy books online) भी अपनी पसंदीदा किताबें खरीद सकते हैं। यहां पर हजारों किताबें बड़ी डिस्काउंट पर उपलब्ध हैं। अगर आपको ऐसा परमार्थ करना है और अपनी अच्छी किताबें वंचितों तक पहुंचाना है तो आप इन वेबसाइटों (online bookstore) का विजिट कर सकते हैं।

Sunday, 21 February 2016

5 Easy Steps To Find Your Books’ Worth

In this era of online bookstores and huge bombardment of information aimed at pushing sales of the books, almost every author (especially those with their first book) are too confused about their own book.
It seems really scary to think what if my book fails to draw attention of readers, what if no one understands what I wanted to say, etc etc.
But trust me, thousands of authors getting their books published every day, this confusion is natural. Have you heart hold back and follow the following five steps.
Before publishing your books online:

1.READ YOUR BOOK AS A READER: For this you first need to come out of your book’s frame. It is natural for an author to get involved into his/her book, but just shut the book off. Put it aside and forget about it for few days may be a week. Get engaged in other activities. Once you feel refreshed and out of the books frame. Sit down and start reading it. I am sure majority of your apprehensions will be solved.

2. ASK YOUR LESSER CLOSE ACQUAINTANCES TO READ THE BOOK: Yes, once you have read it as a reader send it to some of your acquaintances to read. But be very clear in not sending it to pretty close ones, and send it to diversified list of people. Because, from the close ones there are chances that you get prejudiced reviews and it should come from diversified group of people because readers are like that.

3. READ AGAIN: Yes, once you get the reviews and find some to be worthy of adopting please think and go ahead do it. Once you are done, run an edit for typos, sentence framing etc. Once you are ready with your new manuscript again keep it aside and try to come out of its frame and re read it. Yes, you will find a lot of things that you missed correct it. By this time I hope you have got half of your answer.

4. NICHE CHECKING: Now after you are ready. Browse online bookstores, check out the books of the genre in which you suppose your book to be. Buy books online and read them (atleast a couple of them). While reading you will automatically compare it with your book as they both belong to the same genre. It will also give you a feel of the book. This step could be taken during initial stages too, but again there is a danger of too much influence of the books on your own writing. Like others you have an independent style of writing, just try to hold the nerve of readers, don’t let it impact your story’s basics.

5. LITMUS TEST: Now that you are ready with your book, upload it for sales on various online bookstores where you can publish your book for free and readers can buy books online after you upload them. The response from the readers will answer rest all your questions. One more thing do try to connect directly and get the views of the readers personally.

BEST OF LUCK!!
Happy Reading & Writing!

Wednesday, 17 February 2016

लेखक बनने का नया प्लेटफार्म उलब्ध करातीं वेबसाइटें

अगर आप पढ़ने, लिखने और किताबों के शौक रखते हैं तो आपके दिल में एक बात हमेशा से दबी रहती है कि काश, अपनी भी अभिव्यक्ति को कागज पर उतार पातें। ऐसा संभव भी होता होगा कि अपनी अभिव्यक्ति को आपने कागज पर उतार लिए हों, पर न तो वह लोगों तक पहुंच पाती है और न ही वह किताबों (books) की शक्ल ले पाती होती। लेकिन आज के युग में अगर आप थोड़े से कम्प्यूटर फ्र्रेंडली हैं तो आपकी तमन्ना पूरी हो सकती है। अगर आप अपनी किताबों को ई-बुक या फिजीकल बुक्स की शक्ल देना चाहते हैं तो इसके लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इंटननेट पर ऐसी तमाम वेबसाइटें उपलब्ध हैं जो हमें यह सुविधा उपलब्ध करती हैं। इसमें सबसे उत्तम योरबुक स्टाल (youbookstall.com) हैं। जहां कंटेंट एडिटिंग, कवर डिजाइनिंग और काॅपी राइट सहित आपकों कई सुविधाएं प्रदान करता है। इसके लिए आॅनलाइन वुक्स (online books) वेबसाइट योरबुकस्टाल (yourbookstall.com) पर जाकर इसकी पूरी जानकारी ली जा सकती है जो अपको लेखक बनाने में सहायक होगी। इस वेबसाइट पर कई और भी सर्विस उपलब्ध हैं जो वहां विजिट कर देख सकते हैं। इस वेबसाइट बाइ बुक्स आॅनलाइन (buy books online) अन्य किताबें भी खरीद सकते हैं। यहां लाखों की संख्या में सभी भाषाओं की किताबें उपलब्ध हैं जो आपको अपनी पसंदीदा बुक्स को चयन करने में मदद करती है। अगर आपको लेखक बनना हो या बाइ बुक्स आॅनलाइन (buy books online) करना हो तो इस वेबसाइट को विजिट करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

Tuesday, 16 February 2016

अच्छी शिक्षा और संस्कार देती है किताबें

किसी भी जिन्दगी कि शुरुआत सीखने से शुरू होती है और सीखने पर ही खत्म होती है। चाहे वह बचपन में शिक्षक मां हो या बुढापे में कोई और, लेकिन यह सीखना उम्र पर चलता रहता है। वैसे अच्छी बाते और संस्कार के लिए मां-बाप द्वारा सही रास्तें दिखाए जाने के अलावा अच्छी किताबों की अधिक जरूरत होती है। बच्चों को आप अगर अच्छी शिक्षा और संस्कार देना चाहते हैं तो उसको किताबों से जोड़ना चाहिए । किताबों में दुनिया भर की भरी हुई ज्ञान से वह अच्छी शिक्षा और संस्कार पा सकता है। इसमें सबसे अहम भागीदारी अभिभावकों की होती है। अभिभावकों को यह ध्यान रखना पड़ता है कि हमारा बच्चा क्या पढ़ रहा है। ऐसे में बच्चे को गाइड करना और सही किताबों के चयन की राह दिखाना आपकी जिम्मेदारी बनती है। आज तो कोई भी (buy books online) आॅनलाइन अच्छी किताबों का चयन कर बच्चों को बता सकता है। या बच्चे को गिफ्ट के तौर पर (online bookstore) आनलाइन बुक्स स्टोर से किताबें खरीद सकता है। ऐसे में एक तो बच्चों को अच्छा लगेगा और सरप्राइज गिफ्ट मिलेगा तो वह उसे चाव से पढ़ेगा। और बाइ बुक्स आॅनलाइन किताबें खरीदने का सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है। आनलाइन बुक्स (books online ) खरीदने में एक तो भारी डिस्काउंट मिलता है, दूसरी अच्छी किताबों के आॅप्शन उपलब्ब्ध होते हैं और तीसरी समय की बचत होती है और किताब आपके घर पहुंच जाती है।

Sunday, 14 February 2016

किताबों की दुनिया में खोया वह बचपन

किसी भी व्यक्ति का किताबों से संबंध उसकी बचपन को याद दिलाता है। किताबों की दुनिया में खोया वह बचपन जब आपको उस दौर में ले जाता है तो आप रोमांच से भर जाते हैं। चाहे वह क्लास की बुक्स हो या नंदन, चंपक, बालहंस या कोई काॅमिक्स, वह हमें उस फंतासी दुनिया में ले जाता था जहां हमें लगता था कि एक और दुनिया है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ फंतासी बातों से ही हम रूबरू होते थे। उस फंतासी कहानियों में बुराई पर अच्छाई की जीत, आचरण और संस्कार की सीख मिलती थी, जिसके कारण आज आप जहां हैं वहां एक सफल व्यक्ति हैं। उन किताबों ने हमें जीवन जीने की कला सीखायी, देशभक्ति, जिम्मेदारी और सेवा भाव का अनुभव कराया। इससे सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण हुआ। वैसे आज के परिपेक्ष्य में बात की जाए तो आज बच्चे किताबों की फंतासी दुनिया की जगह टीवी को दे दिया है। जहां उन्हें डोरेमोन, आॅगी-काॅकरोच, मोटू-पतलू और हड्डी-बड्डी जैसे सीरियल इंटरटेन करते हैं। यह बात अलग है कि अभिभावक उस पर ध्यान नहीं देते कि उसके भविष्य के लिए ठीक नहीं है। अभिभावकों को चाहिए की उन्हें अपने बच्चों को ऐसे किताबों (buy books online) से रूबरू

कराएं जो टीवी से ज्यादा इंटरटेन करें। इसके लिए आज आॅनलाइन बुक्स स्टोर्स (online bookstore) की भरमार है जो आपके बच्चों के लिए आॅनलाइन बुक्स (online books) उपलब्ध कराते हैं। अगर आप बाइ बुक्स आनलाइन करते हैं तो यह बुक्स आपके घर तक पहुंचाते हैं। ऐसे में आप अपने बच्चों को किताबों से दोस्ती करा सकते हैं।