कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता होता है और इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए है। मां वह गुरु होती है जो एक बच्चे का व्यक्तित्व को निखारने और बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और पिता वह गुरु होता है जो मां की बनाई व्यक्तित्व को तराशकर निखारता है। ऐसे में उस बच्चे का व्यक्तित्व का निर्माण होता और वह समाज में एक सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार होता है। इस दरम्यान जो तीसरे गुरु की भूमिका निभाता है वह किताबें होती हैं। क्योंकि एक बच्चे के व्यक्तित्व के निर्माण में माता-पिता के साथ किताब की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। किताबों से ही बच्चे का माता-पिता अपने बच्चे को एक आदर्श नागरिक बानाने का प्रयास करता है। यह तो तब की स्थिति होती है जब बच्चा बच्चा होता है। लेकिन किशोरावस्था में प्रवेश के बाद बच्चे के लिए किताब सबसे ज्यादा महत्पूर्ण हो जाती है। यहां भी मां-बाप की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। क्योंकि बच्चा स्कूल बुक्स के अलावा क्या पढ़ रहा है या उसे क्या पढ़ना चाहिए? यह गाइड करना भी महत्वपूर्ण है। माता-पिता को भी यह ज्ञान होना चाहिए कि बच्चे को कैसे अच्छी किताबें सर्वसुलभ हो। वैसे आज-कल तो हर जगह सर्वसुलभता है। अगर आपको कोई किताब खरीदनी है तो आप किसी भी आॅनलाइन बुक स्टोर (online bookstore) से आॅनलाइन बुक्स (online books) खरीद सकते हैं। अगर आप बाइ बुक्स आॅनलाइन (buy books online) करते है तो आपका चयन आपके बच्चे के लिए अच्छा होना चाहिए। उसके लिए वह किताब रोचक हो और उसके पढ़ने में वह आनंद उठा सके। ऐसा मानना है कि आॅनलाइन बुक्स (online books) खरीदते समय बच्चों की भी राय लेना ज्यादा वाजिब होगा। क्योंकि यह भी हो सकता है कि जो किताब आप आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) से खरीद रहे हैं, वह आपके बच्चे को पसंद न हो। ऐसे में यह बेहतर होगा कि आप बाइ बुक्स आनलाइन (buy books online )करते समय बच्चे की राय जरूर लें।
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