इतिहास
के पन्नों को पलटकर अगर देखा जाए तो कई ऐसे पन्ने हैं तो किताबों और लेखकों
पर प्रतिबंध से जुड़े हैं। कई ऐसे भी स्याह पन्ने हैं जो अब पलटने पर एक
दर्द सा उभर आता है। यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उस घटना को वह
कैसे देखता है। वैसे विवादित किताबों को प्रतिबंधित करना कोई नई बात नहीं
है। आज के जमाने में तो सिर्फ किताबों पर ही प्रतिबंध लगाया जाता है, लेकिन
इतिहास बताता है कि लेखकों को उनकी किताबों के साथ जिंदा जला दिया जाता
अगर वह किताब थोड़ी सी भी विवादास्पद होती या राजा के खिलाफ होती। ऐसे
किताबे और लेखक को राजद्रोही माना जाता और उन्हें इसके लिए सजा दी जाती।
अगर भारत की बात करें तो यह भारत में भी परंपरा रही है। मुगल शासनकाल हो या
अंग्रेजों के शासन काल सभी के शासनकाल में लेखकों और किताबों को दबाया
गया। अतीत में जैसे मदर इंडिया किताब से लेकर हाल-फिलहाल में शिवाजी पर आई
लेखक जेम्स लेन की किताब-शिवाजी द हिंदू किंग इन मुस्लिम इंडिया पर देश में
हंगामा हो चुका है। फिलहाल हम भारत में लगाए गए कुछ किताबों पर प्रतिबंध
के बारे में बात करेंगे। हालांकि अब यह सभी किताबें किसी भी ऑनलाइन बुक स्टोर (online bookstore) पर आराम से उपलब्ध हैं। जहाँ से कोईं भी इस किताब को ऑन लाइन खरीद (buy books online) सकता है.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiU1pEgdw0yjPYih8GS_GXKPtCA3Mg-HufFPCw-oiIeX-8XebCpCXDaIdgXIM0Ee3XAx2iIFpixRFBAjyK1JCfgZ7fnUL6rbR9Ilgcl4tWfeqr977PFL4TV-hkCxX64TEOEURmR6VdUf8s/s200/9780143116691-us-300.jpg)
'द
हिंदूज-एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री' जैसा कि नाम से ही साफ है, किताब हिंदू
धर्म पर दूसरा नजरिया पेश करने का दावा करती है। इसे लिखा है अमेरिकी
लेखिका वेंडी डोनिगर ने। वो भारतीय विषयों की अमेरिकी विद्वान हैं। लेकिन
विरोधियों का कहना है कि उनकी किताब में विद्वता जैसी कोई बात नहीं। किताब
में तथ्यात्मक गलतियां हैं। ये हिंदू धर्म की भावनाओं को आहत करती है।
फरवरी 2014 में धार्मिक संगठनों के विरोध के बाद पिछले साल पेंगुइन इंडिया
ने वेंडी डोंनिगर की किताब ‘द हिंदूज: एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री’ को वापस ले
लिया। लेकिन आज के इंटरनेट के जमाने में इसे रोकना मुश्किल है। पढ़ने वाले
इसे या तो आॅनलाइन बुक्स स्टोर से मंगा लेंगे या ईबुक खरीद लेंगे।
द सैटनिक वर्सेज (The setenic verses)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgd-2pkwwxulhKIwiZ3z7lI-9iIFD-6axSpbwH2Kb52SCN0brBgmKKoM7qUhnDsfdmlTJqc76pI5kd8lQqwV5giVZunDMVQEzRSG3GQvM2rXRrONqnSQPUa6_nSx61lL42VJ7YO7mN5kr8/s200/51bgaSsivQL.jpg)
एन एरिया आॅफ डार्कनेस (An Area Of Darkness)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjTsG7M2DGBmY3-b94PHSVPc9yccf5nLXoD5CUKj3UtH1TLxhWcv9HgwQbjz5-Nw_pms2LnNFU8sx6j6cZ_M1gollPPvIxov3RJae8TMueh4ivrMhTwvXm8Jg3TI90A5zqVttedZjVkAWM/s200/9780143414902.jpg)
नाइन आॅवर्स टू रामा (Nine hours to Rama)
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द फेस आॅफ मदर इंडिया
अमेरिकी
इतिहासकार कैथरीन मायो 1927 में अपनी किताब ‘द फेस आॅफ मदर इंडिया’ के
प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक विवादों के घेरे में आ गई। इस किताब में
कैथरीन ने कहा था कि भारत स्वराज के काबिल नहीं है। महात्मा गांधी ने इस
किताब को ‘रिपोर्ट आॅफ अ ड्रेन इंस्पेक्टर’ कहा था। इस किताब में कैथरीन
मेयो ने भारतीय समाज, धर्म और संस्कृति पर हमला किया है। यह किताब
अंग्रेजों से स्व-शासन और आजादी के लिए भारतीय मांगों के खिलाफ लिखा गया
था। पुस्तक भारत की महिलाओं को अछूत, पशु, गंदगी बताया गया था। किताब का एक
बड़ा हिस्सा भारतीय लड़कियों के विवाह से संबंधित था।
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