कलम की ताकत से दुनिया का हर पढ़ा लिखा व्यक्ति परचित है। चाहे वह नारा हो, लेख हो या कोई किताब। वह समाज को एक नई दिशा देती है, सच्चाई बताती है, विवाद, वैमन्स्य, खड़ा करती और समाज को भटकाती भी है। कागज पर उकेरे बहुत कम ही ऐसे शब्दों की पोटलियां रही जिससे नाकारात्मकता फैलाने की कोशिश की गई। यहां हम कुछ ऐसे ही किताबों की चर्चा करेंगे जिन्हें विवाद के कारण प्रतिबंध लगा दिया गया। भले ही उस समय उन किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया गया हो लेकिन आज वह किताबें आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) पर उलब्ध हैं जहां से कोई भी बाई बुक्स आॅनलाइन (buy books online) खरीद सकता है। लेकिन विवाद किस कारण हुआ यह हम आपको बताते हैं।
पिक्टन: इन हिज ओन वड्स
लेखक :- रॉबर्ट पिक्टन
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इस किताब पर विवाद के प्रतिबंध लगा दिया और बाजार में आने के कुछ घंटे के बाद ही उसे आॅनलाइन बुक्स स्टोरों से हटा दिया गया। सूअर फार्म चलाने वाले और किसी जमाने में करोड़पति रहे रॉबर्ट पिक्टन ने एक के बाद एक छह हत्याएं की थीं। उन्हें साल 2007 में सजा भी सुनाई गई थी।
इफ आई डिड इट: कनफेशन्स आॅफ द किलर
लेखक :- ओजे सिम्पसन (आनाम लेखक)
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इसमें बताया गया था कि किस तरह ये हत्याएं की गई होंगी। सिम्पसन ने किसी और से यह किताब लिखवाई थी और इससे पैसे भी कमाए थे। किताब से दोनों पीड़ितों के रिश्तेदारों को ठेस पहुंची। इसके पहले उन्होंने सिम्पसन के खिलाफ एक मुकदमा जीत लिया था। उन्हें मुआवजे के तौर पर 3 करोड़ डॉलर की रकम दी गई थी। सिम्पसन फिलहाल जेल में हैं। वे अपहरण और डकैती के दोष में 33 साल की सजा काट रहे हैं।
लोलिता
लेखक :- व्लादीमीर नबोकोव
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इसलिए कोई प्रकाशक इसे छापने को तैयार नहीं था। आखिरकार, पेरिस की एक ऐसी कंपनी ने इसे छापा, जो पोर्नोग्राफी छापा करती थी। किताब के आने के बाद उस पर ब्रिटेन और फ्रांस में प्रतिबंध लगा दिया गया। ब्रिटेन में यह रोक 1959 तक रही। इसकी अब तक पांच करोड़ प्रतियां छप चुकी हैं।
द सैटेनिक वर्सेज
लेखक :- सलमान रुश्दी
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माइन काम्फ: माई स्ट्रगल
लेखक :- एडोल्फ हिटलर
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सरकार नव विवाहितों को यह उपहार में देने लगी। बड़े अधिकारियों के घरों में इसकी सोने की पत्तियों से मढ़ी प्रतियां रखी जाने लगीं। उस दौरान इस किताब की 1 करोड़ 20 लाख प्रतियां छपी हैं। नाजिÞयों की हार के बाद 1945 में इस किताब की कॉपीराइट बैवेरिया राज्य को सौंप दी गई। इस पर किताब पर 70 साल तक प्रतिबंध लगा रहा। यह कॉपीराइट 1 जनवरी 2016 को खत्म हो गई। म्युनिख का इंस्टीच्यूट आॅफ कंटेपरेरी हिस्ट्री अब इसका नया संस्करण छापेगा।
आई नो व्हाई द केज्ड बर्ड सिंग्स
लेखक :- माया एंजेलो
साल 1970 में छपी माया एंजेलो की किताब ‘आई नो व्हाई द केज्ड बर्ड सिंग्स’ उनके अनुभवों पर आधारित है। इसमें अमरीका के गरीब इलाके डीप साउथ में एक बच्चे पर होने वाले अत्याचार और दुर्व्यवहार का वर्णन है। माया ने अपने बचपन के 10 साल वहां बिताए।
उन्होंने वहां नस्ल के आधार पर होने वाले भेदभाव और पूर्वग्रहों के बारे में बताया। इस किताब में वर्णन है कि किस तरह सात साल की उस बच्ची से उसकी मां का ब्वॉय फ्रेंड बलात्कार करता है।
Your views about book is very good
ReplyDeleteI will appreciate you , I am fan of your article.I am also a blogger and by coincidence my blogger nich is booksslide. blogspot