आज हम बाल साहित्य पर कुछ लिखने के लिए हम भी चाह रहे हैं बच्चा बन जाएं। जब हम बच्चे थे (10-13) हमारे आसपास तो टीवी श्वेत-श्याम था और उस समय भी इसकी खुमारी थी, लेकिन सीमित। क्योंकि उस समय महाभारत (बीआर चोपड़ा), चंद्रकांता (नीरजा गुलेरी), अलिफलैला और श्रीकृष्ण (रामानंद सागर) का दौर था। रामायण का दौर जा चुका था। यह एक विशेष दिन और विशेष समय पर आते थे। बाकी दिन हमारी दुनिया में रंग भरते थे कॉमिक्सों से। रंगीन पन्नों पर छपी कमांडो ध्रुव, नागराज, परमाणु, डोगा, राम-रहीम, भोकाल, नंदन, चंपक, बालहंस और चाचा चौधरी की कहानियों के नए अंक पढ़ने के लिए गली-गली साइकिल की पैडल मारते हुए बाजार से घर और घर से दूसरे या तीसरे दोस्त के यहां। कारण था सभी किताबें किराए से मिला करती थी तो अदला-बदली करके उसको पढ़ लिया करते थे। अगर जो मित्र कोई अंक खरीद लेता वह बॉस होता और खुद पढ़ने के बाद अपने चहेते मित्र फिर उससे कम चहेते मित्र, ऐसे करके हममें बंटा करती थी। परीक्षा के टाइम में भी स्कूल की किताबों के अंदर कॉमिक्स या बाल पत्रिकाएं छुपाकर पढ़ते हुए हम, शायद आजकल के बच्चों से अलग बचपन जी रहे थे। लेकिन आज के दौर में टीवी पर डोरेमन, मोटू-पतलू, वीडियो गेम, कंप्यूटर गेम और इंटरनेट के बीच बाल साहित्य खो सा गया है। वैसे समय-समय पर बहुत से प्रसिद्ध और महान लोगों ने बच्चों के लिए किताबें लिखी हैं, जो कि न सिर्फ बहुत ही ज्यादा चर्चित हुईं, बल्कि लोकप्रिय भी रहीं। आज हम कुछ ऐसी ही किताबों का जिक्र करेंगे जो हमेशा से लोकप्रिय और प्रसिद्ध रही।
पंचतंत्र की कहानियां (Panchatantra)
यह वह किताब है जिसकी कहानियां नाना-नानी, दादा-दादी अभी भी सुनाया करती हैं। भाषा और जगह के हिसाब से इसके कथनांक में फर्क पड़ा है लेकिन उसकी मूल भावना वहीं है। इस किताब के मूल लेखक पंडित विष्णु शर्मा हैं। इस किताब में जितनी भी कहानियां है सब पेड़-पौधे, जानवर सहित मनुष्य को शामिल कर शिक्षाप्रद बनाया गया है। इसलिए कहा गया है भले आपका बच्चा किताब न पढ़े पर उसे पंचतंत्र की कहानियां जरूर सुनाएं।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghxGOUPyLIXgbyDtcdtCPWe8VloK5yNHMgAHk5qLLYWU8TQd2PPTRY25Y2jBfAfvNklcAOppMqb1FN9InttEhumlI_4Avknl1fhmLbCrvVN9fYw6tQNUT1-1Qq-Rugvx1YPMZeDvbwJpU/s200/letter.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghxGOUPyLIXgbyDtcdtCPWe8VloK5yNHMgAHk5qLLYWU8TQd2PPTRY25Y2jBfAfvNklcAOppMqb1FN9InttEhumlI_4Avknl1fhmLbCrvVN9fYw6tQNUT1-1Qq-Rugvx1YPMZeDvbwJpU/s200/letter.jpg)
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने अति व्यस्त कार्यक्रम से थोड़ी सी फुर्सत पाते थे तो अपनी लाडली बेटी इंदिरा को पत्र लिखा करते थे। पंडित नेहरू के ये पत्र ही थे, जिन्होंने इंदिरा को इतना सशक्त बना दिया कि बड़ी से बड़ी दिक्कतों का सामना करने में उनको तनिक भी मुश्किल नहीं आई। इन पत्रों का संग्रह भी कई किताबों में है। यहां तक आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) के अलावा यह पत्र कई ऑनलाइन बुक्स की (online books)वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWiZjzaGBXXGbelA_ivFcyWNZ39KhpqedfCVT8zb-3L5mXssQ5eZ4RqzwDHYtq-G4iTTERrjJNPVOrGKvVb4Kueu945b2ILfBYNpme_yjr3ArvY7mPs1wzHGsXDX7u5_sygxNnOsNu1r4/s200/9788188600274.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWiZjzaGBXXGbelA_ivFcyWNZ39KhpqedfCVT8zb-3L5mXssQ5eZ4RqzwDHYtq-G4iTTERrjJNPVOrGKvVb4Kueu945b2ILfBYNpme_yjr3ArvY7mPs1wzHGsXDX7u5_sygxNnOsNu1r4/s200/9788188600274.jpg)
रवीन्द्र नाथ ठाकुर की काबुलीवाला (Kabuliwala)
रवीन्द्र नाथ ठाकुर की किताबों को पढ़ने में भी बच्चों को बहुत ही मजा आएगा और जोश भी। रवीन्द्र नाथ की किताबें बच्चों का मनोरंजन करने के साथ ही उनका मार्गदर्शन भी करती हैं। इनकी सबसे प्रसिद्ध कहानी ‘काबुलीवाला’ है, जिसमें कि एक काबुलीवाला ‘रहमत’ नाम का चरित्र है और दूसरी छोटी बच्ची ‘मनी’ है। इस कहानी को पढ़ते-पढ़ते आप अपनी भावुकता को रोक नहीं पाएंगे। इस कहानी पर इसी नाम से फिल्म भी बन चुकी है जिसके गीत को बच्चे आज भी गुनगुनाते हैं। ऐ मेरे प्यारे वतन..... ऐ मेरे बिछड़े चमन...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoJ0kIPCZuIgJaHZgIL9tF-1NBJCluYLgh9XuZss0p2-CEXX3oSSS7JlhEU2IsLO2m2RJqs4BSYryTWykj9m1v8Rlqi6HgrepfWHyJ60DgxU0thn6Ay_x26d-krJTcp5lcAAvpk41z1j8/s200/4792.970.jpg)
प्रेमचंद की ईदगाह (Idgah)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoJ0kIPCZuIgJaHZgIL9tF-1NBJCluYLgh9XuZss0p2-CEXX3oSSS7JlhEU2IsLO2m2RJqs4BSYryTWykj9m1v8Rlqi6HgrepfWHyJ60DgxU0thn6Ay_x26d-krJTcp5lcAAvpk41z1j8/s200/4792.970.jpg)
प्रेमचंद की ईदगाह (Idgah)
प्रेमचंद ने तो कई ऐसे साहित्य लिखे जिसे बाल साहित्य भी कहा जा सकता है, लेकिन ईदगाह की बात ही निराली है। ईदगाह की बात आते ही दिमाग में नन्हा हमीद उछल-कूद करने लगता है। वैसे उसका चरित्र ऐसा नहीं है। हमीद के किरादार को प्रेमचंद ने ऐसे बाल बुजुर्ग का बुना है जिसकी कल्पना आज के मनोवैज्ञानिक नहीं कर सकते। ईदगाह ऐसी कहानी है जो बच्चों को ऐसे भी सुनाया जा सकता है, उस बाल तर्क से बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा जब हामीद अपने चीमटे को कैसे दोस्तों के खिलौनों से श्रेष्ठ साबित करता है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3wA6txTWXsXJeYvppLYNSiDOa-tiyNTfL0MOabW7Du0ps6p09geKeRNm5EtjxCkMQxh-qWdq7W-fVeiOwwWJpbggeCDyUrdwspg0NO1tsO1rG-MQHia_5jsEJSB4nPR1LPKgaTr-DZcU/s1600/boski.jpg)
No comments:
Post a Comment